28 June 2020

Personal laon

नमस्कार दोस्तों,
आज के इस ब्लॉग में हम पर्सनल लोन (personal laon) के बारे में  जानकारी लेंगे। पर्सनल लोन ( personal laon) के बारे बहुत से लोग हमेशा ही अधिक से अधिक जानकारी लेना चाहते हैं लेकिन ज्यादा तौर पर यह जानकारी अंग्रेजी भाषा में होने के कारण बहुत से लोगों को समझने में दिक्कत हो जाती हैं। वैसे तो हम बैंक से कई प्रकार के लोन लेने जाते हैं लेकिन हमें यह पता नहीं होता हैं की कौनसे लोन के लिए हम पात्र हैं और कौनसे नहीं।


१. पर्सनल लोन (personal laon) क्या होता हैं ?
पर्सनल लोन (personal laon) के नाम से हम समझ जाते हैं की यह व्यक्तिगत कर्ज होता हैं । यह लोन बैंक ख़ासकर कर नियमित आय वाले ग्राहकों को देता, जैसे की हर महीने पगार अपने बैंक में जीन ग्राहकों का होता हैं उन ग्राहकों बैंक पर्सनल लोन (personal laon) उपलब्ध कराता है। पर्सनल लोन के राशी का उपयोग ग्राहकों के ऊपर निर्भर करता है की वोह राशी वोह किस तरह इस्तेमाल करें। इसपर बैंक किसी भी तरह की कोई पाबंदी नहीं लगाता , जैसे की होम लोन के लिए ग्राहक सिर्फ वह राशी सिर्फ घर बांध सकता हैं।
२. पर्सनल लोन (personal laon) कौन के सकता हैं?
पर्सनल लोन लेने के लिए ग्राहक का सैलरी खाता (salary account) उस बैंक में होना ज़रूरी है जिस बैंक से ग्राहक पर्सनल लोन के लिय आवेदन दे रहा हो।
३. पर्सनल लोन के लिए दस्तावेज।
हर बैंक पर्सनल लोन (personal laon) के लिए लगभग एक जैसे ही डॉक्यूमेंट लेता है।
१. बैंक पासबुक २.जिस बैंक में पर्सनल लोन के लिए आवेदन दे रहे हो पर आपकी सैलरी होना ज़रूरी है।३. आपका केवाईसी याने कि आधार कार्ड, वोटर आईडी, पान कार्ड , इनकम टैक्स रिटर्न 2 से 3 तीन साल तक का होना ज़रूरी होता है।
४. पर्सनल लोन (personal laon) के लिए सिबिल स्कोर कितना होना ज़रूरी है।
यह तो हर बैंक का नियम अलग अलग होता हैं कोई बैंक सिबिल स्कोर की मर्यादा 650 से 700 तक रखी गई हैं।
5. पर्सनल लोन (personal laon) कितना मिलता है।
पर्सनल लोन कितना मिलेगा यह हमारी सैलरी के ऊपर निर्भर करता है बहुत से बैंक अधिकतम 25 लाख तक के लोन अपने ग्राहकों उपलब्ध कराते हैं। पर्सनल लोन (personal laon) ग्राहक को उनके ग्रॉस सैलरी का 35% हिस्सा नेट टेक होम के लिए याने की 35% हिस्सा व्यक्ति के घर खर्च के लिए माना जाता हैं, उदाहरण के लिए अगर देखे तो अगर किसी व्यक्ति को 100 रुपए सैलरी ही तो उसका 35 रुपए घर खर्च और अगर उसमें भी  किसी प्रकार की कटौती होती हो तो ,जो नेट सैलरी बचती हैं उसपर हमारा पर्सनल लोन (personal laon) मिलता है।
६. पर्सनल लोन (personal laon) के लिए ब्याज दर।
वैसे तो पर्सनल लोन के लिय हर बैंक ज्यादा ब्याज दर लगाता है। यह ब्याज दर 11% से लेकर 16% तक होता हैं। और इस लोन को चुकता करानी समय सीमा 4 साल से 5 साल तक निर्धारित की गई हैं।
बैंकिंग जगत की रोचक जानकारी के लिए हमसे बने रहिए और अगर आपके कोई सवाल बैंकिंग जगत से हैं तो हमें जरूर लिखें हम आपके सवालों पर भी ब्लॉग लिखंगे




07 June 2020

PMEGP ALL BASICS INFORMATION (

नमस्कार दोस्तों,
आज के ब्लॉग में हम भारत सरकार के रोजगार निर्माण कार्यक्रम के बारे पूरी जानकारी लेंगे,इस कार्यक्रम तथा योजना का नाम हैं PMEGP इस योजना के बारे हम आज पूरी जानकारी इस ब्लॉग में लेंगे
1.PMEGP  क्या हैं ?

यह योजना प्रधानमंत्री रोजगार योजना और ग्रामीण रोज़गर निर्माण कार्यक्रम दोनों को एक करके PMEGP यह नई योजना बनाई गई हैं। PMEGP योजना का मुख्य उद्देश्य है युवकों को स्वयं रोजगार के लिए लोन उपलब्ध कराना है।इस योजना के माध्यम से ग्रामीण और शहरी इलाकों में छोटे उद्योगों को शुरू करने के लिए लोन उपलब्ध कराया जाता हैं।
२. PMEGP योजना में सब्सिडी भी मिलती हैं ?
 इस योजना के तहत सब्सिडी का प्रावधान किया हैं अगर आप अपना उद्योग ग्रामीण इलाकों में लगाना चाहते हैं तो आपको 35% तक की सब्सिडी मील सकती हैं।
साधारण वर्गवारी के लिए 25% हैं और अगर आप शहरी इलाकों में अपना उद्योग लगाना चाहते हो तो आपको 15% सब्सिडी मिलेगी ।
3.  PMEGP कौन आवेदन कर सकता हैं।
 इस योजना के तहत व्यक्तिगत, स्वयं सहायता समूह, कॉपरेटिव सोसाइटी आदि लोग इस योजना में आवेदन कर सकते है। लेकिन यह भी ध्यान रखें की आवेदक की उम्र 18 से कम नहीं होनी चाहिए।
PMEGP योजना के तहत किन किन उद्योगों के लिए लोन मिलता है।
इस योजना के तहत 1. कृषि प्रकिया उद्योग, जंगल पर आधारित उद्योग,3. हातमाग उद्योग,4. मिनरल वॉटर उद्योग 5. प्लास्टिक और रासायनिक प्रक्रिया उद्योग 6. ग्रामीण अभियांत्रिकी 7. कपड़ा और सेवा उद्योग आदि उद्योगों के लिए आवेदन कर सकते हैं।
5. PMEGP के तहत कितने रुपए के लोन का आवेदन कर सकते हैं?
 PMEGP योजना के तहत बिना किसी गिरवी के रुपए के 10 लाख का लोन मिल सकता हैं, और सीजीएमएसई के तहत 25 लाख तक लोन मिल सकता हैं।
6.PMEGP आवेदन किस तरह करना पड़ता हैं।
PMEGP का आवेदन किस तरह से करना पड़ता यह हम अब जानेंगे। आवेदन करने के लिए आपका खाता किसी भी बैंक में होना चाहिए आपके पास आधार कार्ड, PAN
कार्ड आदि होना ज़रूरी है। आपको  PMEGP WEBSITE  जाकर ऑनलाइन पंजीकरण करना पड़ेगा और इसके बाद आप जो उद्योग करना चाहते हो उसका प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाकर वेबसाईट पर upload करना पड़ता है। इसके बाद आपको अपना बैंक चुनना होता हैं,जब आपका आवेदन बैंक के पास जायेगा तब बैंक पूरी छानबीन करके आपका आवेदन गुणवत्ता के आधार पर स्वीकृत किया जाएगा या फिर अस्वीकृत भी हो सकता हैं।

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03 June 2020

REPO RATE and REVERSE REPO RATE,

नमस्कार दोस्तों,
आज के इस ब्लॉग में हम बैंकिंग जगत के बारे में कुछ संकल्पना के बारे में आसान भाषा में रेपो रेट(repo rate), रिवर्स रेपो रेट(reverse repo rate)  के बारे में जानेंगे। इन सभी का भारत के अर्थव्यवस्था पर क्या असर होता हैं यह भी जानकारी लेंगे।
सबसे पहले हम रेपो रेट (repo rate) के बारे में जानकारी लेंगे।
१.रेपो रेट(repo rate) क्या हैं ?
रेपो रेट(repo rate) वह बैंक दर होता हैं जिसमें देश की रिजर्व या सेंट्रल बैंक व्यापारी या एनबीएफसी बैंको को अल्पकालीन कर्ज़ उपलब्ध कराता है। इस तरह का अल्पकालीन कर्ज लेने के लिए बैंको को सुरक्षा के तौर पर bond को गिरवी रखा जाता है।
उदाहरण के तौर पर हम इसको देखंगे ।
अगर कोई भी व्यापारी बैंक अपने देश के रिज़र्व बैंक से रेपो रेट (repo rate) से रुपए १०० करोड़ का कर्ज़ उठाना चाहता हो तो उस बैंक को 120 करोड़ के बोंड रिजर्व बैंक के पास गिरवी रखने पड़ते हैं। जब कोई व्यापारी बैंक यह कर्ज़ फिर से रिजर्व बैंक को वापस वापस करेगा तो वह बैंक ब्याज समेत 108 करोड़ रूपए ब्याज के साथ वापस करना पड़ता हैं। (यहां पर हम ब्याज दर 8%) और जो व्यापारी बैंक ने 120 करोड़ रूपए के बोंड गिरवी रखे होते हैं वह बोंड रिजर्व बैंक उस व्यापारी बैंक को वापस करता है।
2. रेपो रेट (repo rate) का अर्थव्यवस्था पर कैसा असर होता हैं?
 रेपो रेट (repo rate) की दर अगर कम रहती हैं तो बैंक भी अपने ग्राहकों को लोन कम दरो में उपलब्ध कराने में सक्षम हो जाता हैं और अगर यही रेपो रेट (repo rate) की दर ज्यादा हो तो बैंक अपने ग्राहकों को ज्यादा दरो से कर्ज़ उपलब्ध कराता है। लेकिन रेपो रेट (repo rate) का इस्तेमाल करके देश की रिजर्व बैंक महंगाई पर नियंत्रण प्राप्त करने के लिए करता हैं। 
उदाहरण से हम इसे आसान भाषा में समझाते हैं।
मान लीजिए की लोगों के पास अगर ज्यादा इनकम होने से अधिक राशी होती हैं तो इससे महंगाई बढ़न
 की संभावना होती हैं इसलिए रिजर्व बैंक ऐसे समय में रेपो रेट (repo rate) की दर बढ़ाती हैं ताकि व्यापारी बैंक को कर्ज़ महंगे दरो से मिले और व्यापारी बैंक भी अपने ग्राहकों को कर्ज़ महंगे दरो से उपलब्ध कराएं ताकि महंगाई नियंत्रण में रहें। और अगर लोगों के पास अगर कम पैसा हो तो रिजर्व बैंक रेपो रेट (repo rate)  की दर कम करके व्यापारी बैंक को कम दरों में कर्ज़ उपलब्ध कराता है ताकि बैंक अपने ग्राहकों को कम दरों में लोन उपलब्ध कराएं और बाज़ार में मंदी ना बने।
३. भारत में रेपो रेट (repo rate) का इतिहास।
अगर पिछले 10 से 12 साल का इतिहास हम देखें तो लगातार रेपो रेट (repo rate) कम होती नजर आई हैं । 31/07/2008 में यह दर 9.00% थी और अप्रैल 2020 से रेपो रेट (repo rate) 4.00% तक आरबीआई ने इसे कम किया है।
4. रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) क्या हैं?
 रोज के लेन देन के बाद व्यापारी बैंको के पास जो रकम शेष रहती हैं वह रकम सारे व्यापारी बैंक आरबीआई के पास जमा करते हैं इससे बैंको को इस जमा पर आरबीआई ब्याज भी देता हैं, इसी दर को रिवर्स रेपो रेट  (reverse repo rate) कहते हैं। रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) से आरबीआई महंगाई पर नियंत्रण रख सकता हैं। इसे उदाहरण से समझेंगे।
# मान लीजिए कि अगर आरबीआई रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) की दर कम करती हैं तो बैंक यह रकम आरबीआई के पास जमा करने के बजाए कम दरों में अपने ग्राहकों को उपलब्ध कराता है। लेकिन अगर बाज़ार में ज्यादा नगद होने कारण महंगाई ना बढ़े इसलिए आरबीआई रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) की दर बढ़ाता हैं ताकि व्यापारी बैंक अपने शेष रकम आरबीआई के पास रखता है और इस तरह से महंगाई पर नियंत्रण रखा जाता हैं।
5. भारत में रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) का इतिहास।
भारत में पिछले १० से १२ सालों में रिवर्स रेपो रेट (reverse repo rate) की दर कम होती आ रही हैं। 2008 में यह 7.00% से अप्रैल 2020 तक यह 3.35% रह गई हैं।
हम अपने सभी पाठकों को यह बताना चाहते हैं कि अगर आपको बैंकिंग जगत के बारे रोचक जानकारी चाहिए तो आप हमें हमारे ब्लॉग को फेसबुक पेज पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं।
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