नमस्कार दोस्तों,
आज के ब्लॉग में हम स्वयं सहायता समूह () के बारे में जानकारी लेंगे।
१. स्वयं सहायता समूह(SELF HELP GROUP) क्या होता हैं ?
स्वयं सहायता समूह (SELF HELP GROUP)समान सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि वाले 10 -20 सदस्यों एक स्वैच्छिक समूह होता हैं। इस समूह के सदस्य अपनी कमाई की बचत करते हैं , और इसी बचत सदस्य अपनी आर्थिक समस्या का समाधान करते हैं। जो बचत यह सदस्य करते हैं इसी बचत से आंतरिक कर्ज आपसे बाठते हैं।
2. स्वयं सहायता समूह(SELF HELP GROUP) की स्थापना कैसे करते हैं?
भारत सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण उपजीविका मिशन (NATIONAL RURAL LIVEHOOD MISSION) की शुरुआत 2011 में गरीबी निर्मुनल कार्यक्रम के तहत की थी। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को एकत्रित करके स्वयं रोजगार निर्माण करना था। यह योजना 2011 में $5.1 अरब डॉलर के साथ शुरू किया था, ईसमे वर्ल्ड बँक भी सहयोग देता रेहता हैं। स्वयं सहायता समूहों की स्थापना करने के लिए कमसे कम १० और ज्यादा से ज्यादा २० सदस्य होना अनिवार्य है। इसके बाद पंचायत के सदस्य स्वयं सहायता समूह के अधिकृत स्थापना का पत्र महिलाओं को देता हैं।
३. स्वयं सहायता समूहों(SELF HELP GROUP) को क्या सुविधाएं मिलती हैं।
स्वयं सहायता समूहों(SELF HELP GROUP) को सरकार और बैंक कई सुविधाएं देता
हैं। आरबीआई (RBI) के नियम के अनुसार स्वयं सहायता समूहों को रुपए 15000 की सहायता समूहों को बैंक खाते में मिलती हैं ।यह राशी उन्हीं स्वयं सहायता समूहों को मिलता है जो कुछ नियमों का पालन करते हैं।
१. जो स्वयं सहायता समूह(SELF HELP GROUP) नियमित रूप से मीटिंग लेते हो
२. जो स्वयं सहायता समूह(SELF HELP GROUP) नियमित रूप से अपने बचत की रकम अपने जरूरत मंद सदस्यों को कर्ज के रूप में देते हो।
३. जो स्वयं सहायता समूह अपना खाता अच्छे से रखते हैं उनको बैंक द्वारा सेल्फ हेल्प ग्रुप लिंकेज कार्यक्रम के तहत कर्ज उपलब्ध कराया जाता हैं।
हमें यह ध्यान रखना जरूरी है कि एनआरएलएम () और स्वयं सहायता समूहों(SELF HELP GROUP) के वजह से कई महिलाओं को रोजगार मिला है और उनके जीवन में वह आर्थिक रूप से काफी स्वयंपूर्ण हो गई हैं ।अब तो बहुत सी कम्पनियां अपने काम स्वयं सहायता समूहों(SELF HELP GROUP) को काम दे रहें हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NATIONAL RURAL LIVEHOOD MISSION) के बारे में रोचक जानकारी।
यह अभियान भारत में काफी सफल हो चुका है ।
१.6035 ब्लॉक इसमें समाविष्ट कि गए हैं। २.63 लाख स्वयं सहायता समूह की स्थापना और सभी कार्यरत हैं। 3. 6.85 करोड़ घरों में यह अभियान पहुंच चुका है। कोरोनावायरस संक्रमण के इस दौरान महिला स्वयं सहायता समूहों ने 2.70करोड़ मास्क बनाएं और जो सामग्री कोरोनावायरस के संक्रमण बचाव के लिए जरूरी वोह भी इन समूहों ने बनाई है, इसमें सनिटीज़र , किट इत्यादि ।
सभी प्रकार के बैंको ने स्वयं सहायता समूहों को 6.4 हजार करोड़ के कर्ज का आवंटन किया है।
एक समय ऐसा था जब ग्रामीण इलाकों के लोगों को छोटे छोटे कर्जो के लिए साहूकारों से कर्जा उठाना पड़ता था और इस कर्ज को चुकाने के लिए उन्हें ज्यादा ब्याज भी चुकाना पड़ता था। लेकिन अब स्वयं सहायता समूहों के वजह से बैंक से कम ब्याज पर कर्ज उठाना आसान हो गया है।
बैंकिंग जगत के रोचक जानकारी के लिए हमसे बने रहिए।
आज के ब्लॉग में हम स्वयं सहायता समूह () के बारे में जानकारी लेंगे।
१. स्वयं सहायता समूह(SELF HELP GROUP) क्या होता हैं ?
स्वयं सहायता समूह (SELF HELP GROUP)समान सामाजिक एवं आर्थिक पृष्ठभूमि वाले 10 -20 सदस्यों एक स्वैच्छिक समूह होता हैं। इस समूह के सदस्य अपनी कमाई की बचत करते हैं , और इसी बचत सदस्य अपनी आर्थिक समस्या का समाधान करते हैं। जो बचत यह सदस्य करते हैं इसी बचत से आंतरिक कर्ज आपसे बाठते हैं।
2. स्वयं सहायता समूह(SELF HELP GROUP) की स्थापना कैसे करते हैं?
भारत सरकार ने राष्ट्रीय ग्रामीण उपजीविका मिशन (NATIONAL RURAL LIVEHOOD MISSION) की शुरुआत 2011 में गरीबी निर्मुनल कार्यक्रम के तहत की थी। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को एकत्रित करके स्वयं रोजगार निर्माण करना था। यह योजना 2011 में $5.1 अरब डॉलर के साथ शुरू किया था, ईसमे वर्ल्ड बँक भी सहयोग देता रेहता हैं। स्वयं सहायता समूहों की स्थापना करने के लिए कमसे कम १० और ज्यादा से ज्यादा २० सदस्य होना अनिवार्य है। इसके बाद पंचायत के सदस्य स्वयं सहायता समूह के अधिकृत स्थापना का पत्र महिलाओं को देता हैं।
३. स्वयं सहायता समूहों(SELF HELP GROUP) को क्या सुविधाएं मिलती हैं।
स्वयं सहायता समूहों(SELF HELP GROUP) को सरकार और बैंक कई सुविधाएं देता
हैं। आरबीआई (RBI) के नियम के अनुसार स्वयं सहायता समूहों को रुपए 15000 की सहायता समूहों को बैंक खाते में मिलती हैं ।यह राशी उन्हीं स्वयं सहायता समूहों को मिलता है जो कुछ नियमों का पालन करते हैं।
१. जो स्वयं सहायता समूह(SELF HELP GROUP) नियमित रूप से मीटिंग लेते हो
२. जो स्वयं सहायता समूह(SELF HELP GROUP) नियमित रूप से अपने बचत की रकम अपने जरूरत मंद सदस्यों को कर्ज के रूप में देते हो।
३. जो स्वयं सहायता समूह अपना खाता अच्छे से रखते हैं उनको बैंक द्वारा सेल्फ हेल्प ग्रुप लिंकेज कार्यक्रम के तहत कर्ज उपलब्ध कराया जाता हैं।
हमें यह ध्यान रखना जरूरी है कि एनआरएलएम () और स्वयं सहायता समूहों(SELF HELP GROUP) के वजह से कई महिलाओं को रोजगार मिला है और उनके जीवन में वह आर्थिक रूप से काफी स्वयंपूर्ण हो गई हैं ।अब तो बहुत सी कम्पनियां अपने काम स्वयं सहायता समूहों(SELF HELP GROUP) को काम दे रहें हैं।
राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NATIONAL RURAL LIVEHOOD MISSION) के बारे में रोचक जानकारी।
यह अभियान भारत में काफी सफल हो चुका है ।
१.6035 ब्लॉक इसमें समाविष्ट कि गए हैं। २.63 लाख स्वयं सहायता समूह की स्थापना और सभी कार्यरत हैं। 3. 6.85 करोड़ घरों में यह अभियान पहुंच चुका है। कोरोनावायरस संक्रमण के इस दौरान महिला स्वयं सहायता समूहों ने 2.70करोड़ मास्क बनाएं और जो सामग्री कोरोनावायरस के संक्रमण बचाव के लिए जरूरी वोह भी इन समूहों ने बनाई है, इसमें सनिटीज़र , किट इत्यादि ।
सभी प्रकार के बैंको ने स्वयं सहायता समूहों को 6.4 हजार करोड़ के कर्ज का आवंटन किया है।
एक समय ऐसा था जब ग्रामीण इलाकों के लोगों को छोटे छोटे कर्जो के लिए साहूकारों से कर्जा उठाना पड़ता था और इस कर्ज को चुकाने के लिए उन्हें ज्यादा ब्याज भी चुकाना पड़ता था। लेकिन अब स्वयं सहायता समूहों के वजह से बैंक से कम ब्याज पर कर्ज उठाना आसान हो गया है।
बैंकिंग जगत के रोचक जानकारी के लिए हमसे बने रहिए।


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